लगभग हर व्यक्ति अपने जीवन के प्रत्येक पड़ाव में कोई न कोई कहानी जरुर सुनता है | बचपन में हम अपने बुजुर्गो से कहानी सुनते हैं , जब थोड़े बड़े होते हैं तो स्कूल के अध्यापकों तथा सहपाठियों से कहानियाँ और किस्से सुनते हैं और व्यस्क अवस्था में तो हमारा जीवन ही किसी कहानी से कम नही होता |
इसी श्रृंखला में आगे बढ़ते हुए आज मै आपको अकबर और बीरबल का एक छोटा सा किस्सा सुनाने जा रहा हूँ जिसका moral है " जो होता है अच्छे के लिए होता है " | दोस्तों कई बार जीवन में ऐसी विपरित परिस्थितियाँ उत्पन्न हो जाती हैं जिनके आगे हमे कुछ नही सूझता , जीने के सभी रास्ते बंद नजर आने लगते हैं |
यह कहानी इसी बात पर कटाक्ष करती है की हमे विपरित परिस्थितियों में भी अपने धैर्य को बनाए रखना चाहिए और जीवन में आने वाले प्रत्येक अच्छे और बुरे पल का डटकर सामना करना चाहिए | आइए इस कहानी से सीखते हैं की जीवन में आने वाले संकट आगे चलकर कैसे अच्छी घटनाओं का कारण बनते हैं -
बीरबल चुपचाप यह सब देख रहा था | परन्तु अकबर को दर्द हो रहा था जिसके कारण वे तिलमिला रहे थे |
उनको ऐसा करते देख बीरबल बोले महाराज चिंता मत कीजिए " जो होता है ,अच्छे के लिए होता है " सब ठीक हो जाएगा |
बीरबल के मुंह से ऐसी बाते सुनकर अकबर क्रोध में आग बबूला हो गया और उसने अपने सैनिको से कहा की बीरबल को बंधी बनाकर काराग्रह में डाल दिया जाए | सैनिक बीरबल को काराग्रह ले गए और अकबर अकेले ही शिकार के लिए निकल पड़े |
चलते चलते अकबर रास्ता भूल गए जब वे वापिस आने लगे तो आदिवासियों के झुण्ड ने उनको पकड़ लिया और पकडकर अपने मुखिया के पास ले गए | मुखिया ने अकबर की बली चढ़ाने का हुक्म दे दिया |
लेकिन जैसे ही आदिवासी अकबर की बली चढाने के लिए उनकी तरफ बढ़े तो उन्होंने देखा की अकबर का तो अंगूठा कटा हुआ है और उसमे से खून बह रहा है | इस पर मुखिया ने अकबर को छोड़ दिया क्योंकि वे पहले से ही चोटिल व्यक्ति का खून चढाकर अपने इष्ट देवता को नाराज नही करना चाहते थे |
आदिवासियों के द्वारा छोड़े जाने पर जब अकबर वापिस लौट रहे थे तो उनको बीरबल की वही बात याद आई जिसमे उन्होंने कहा था की जो होता है अच्छे के लिए होता है | अकबर को अपने द्वारा लिए गए फैसले पर पछतावा हुआ इसलिए राजमहल पहुंचते ही उन्होंने बीरबल को काराग्रह से बाहर निकाला तथा बीरबल से माफ़ी मांगी और उनका धन्यवाद किया |
बीरबल :- महाराज धन्यवाद तो मुझे आपका करना चाहिए |
अकबर :- वो क्यों भला ?
बीरबल : - महाराज अगर आप सैनिकों को मुझे काराग्रह में डालने का आदेश नही देते तो मै आपके साथ चलता और आदिवासियों के द्वारा पकड़े जाने पर वे आपको तो छोड़ देते क्योंकि आपका तो अंगूठा कटा हुआ था |परन्तु वे मुझको और सैनिकों को बंदी बना लेते और हमारी बली दे देते |
अकबर बीरबल की दूरगामी सोच को देखकर बहुत खुश हुए और उन्होंने बीरबल को अपना सलाहकार बना लिया | अब अकबर भी ये बात भलीभांति समझ चुके थे की " जो होता है , अच्छे के लिए होता है " |
और शायद अब आप भी इस बात को समझ गए होंगे तो please इस कहानी को facebook पर अपने दोस्तों के साथ share जरुर करें |
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इसी श्रृंखला में आगे बढ़ते हुए आज मै आपको अकबर और बीरबल का एक छोटा सा किस्सा सुनाने जा रहा हूँ जिसका moral है " जो होता है अच्छे के लिए होता है " | दोस्तों कई बार जीवन में ऐसी विपरित परिस्थितियाँ उत्पन्न हो जाती हैं जिनके आगे हमे कुछ नही सूझता , जीने के सभी रास्ते बंद नजर आने लगते हैं |
यह कहानी इसी बात पर कटाक्ष करती है की हमे विपरित परिस्थितियों में भी अपने धैर्य को बनाए रखना चाहिए और जीवन में आने वाले प्रत्येक अच्छे और बुरे पल का डटकर सामना करना चाहिए | आइए इस कहानी से सीखते हैं की जीवन में आने वाले संकट आगे चलकर कैसे अच्छी घटनाओं का कारण बनते हैं -
जो होता है अच्छे के लिए होता है : कहानी
एक बार अकबर अपने सबसे अच्छे और भरोसेमंद दोस्त बीरबल के साथ शिकार पर गए | उनके साथ कुछ सैनिक भी थे | जब वे जंगल में पहुंचे तो अकबर अपने हथियार पर धार लगा रहे थे की अचानक उनका अंगूठा कट गया जिससे खून बहने लगा |बीरबल चुपचाप यह सब देख रहा था | परन्तु अकबर को दर्द हो रहा था जिसके कारण वे तिलमिला रहे थे |
उनको ऐसा करते देख बीरबल बोले महाराज चिंता मत कीजिए " जो होता है ,अच्छे के लिए होता है " सब ठीक हो जाएगा |
बीरबल के मुंह से ऐसी बाते सुनकर अकबर क्रोध में आग बबूला हो गया और उसने अपने सैनिको से कहा की बीरबल को बंधी बनाकर काराग्रह में डाल दिया जाए | सैनिक बीरबल को काराग्रह ले गए और अकबर अकेले ही शिकार के लिए निकल पड़े |
चलते चलते अकबर रास्ता भूल गए जब वे वापिस आने लगे तो आदिवासियों के झुण्ड ने उनको पकड़ लिया और पकडकर अपने मुखिया के पास ले गए | मुखिया ने अकबर की बली चढ़ाने का हुक्म दे दिया |
लेकिन जैसे ही आदिवासी अकबर की बली चढाने के लिए उनकी तरफ बढ़े तो उन्होंने देखा की अकबर का तो अंगूठा कटा हुआ है और उसमे से खून बह रहा है | इस पर मुखिया ने अकबर को छोड़ दिया क्योंकि वे पहले से ही चोटिल व्यक्ति का खून चढाकर अपने इष्ट देवता को नाराज नही करना चाहते थे |
आदिवासियों के द्वारा छोड़े जाने पर जब अकबर वापिस लौट रहे थे तो उनको बीरबल की वही बात याद आई जिसमे उन्होंने कहा था की जो होता है अच्छे के लिए होता है | अकबर को अपने द्वारा लिए गए फैसले पर पछतावा हुआ इसलिए राजमहल पहुंचते ही उन्होंने बीरबल को काराग्रह से बाहर निकाला तथा बीरबल से माफ़ी मांगी और उनका धन्यवाद किया |
बीरबल :- महाराज धन्यवाद तो मुझे आपका करना चाहिए |
अकबर :- वो क्यों भला ?
बीरबल : - महाराज अगर आप सैनिकों को मुझे काराग्रह में डालने का आदेश नही देते तो मै आपके साथ चलता और आदिवासियों के द्वारा पकड़े जाने पर वे आपको तो छोड़ देते क्योंकि आपका तो अंगूठा कटा हुआ था |परन्तु वे मुझको और सैनिकों को बंदी बना लेते और हमारी बली दे देते |
अकबर बीरबल की दूरगामी सोच को देखकर बहुत खुश हुए और उन्होंने बीरबल को अपना सलाहकार बना लिया | अब अकबर भी ये बात भलीभांति समझ चुके थे की " जो होता है , अच्छे के लिए होता है " |
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