Wednesday 27 December 2017

Rahim Ke Dohe in Hindi - सर्वश्रेष्ठ रहीम के दोहे अर्थ सहित

Posted by ajay
Rahim ke Dohe in Hindi :-   संत रहीम दास जी जिनको अब्दुर्रहीम खानखाना के नाम से भी जाना जाता था अपने दोहों की वजह से हिन्दी साहित्य की दुनिया में काफी लोकपिर्य रहें | यही कारण है की तुलसीदास जी के दोहों और कबीर के दोहों के बाद रहीम जी ही ऐसे संत हुए हैं जिनके दोहे आज भी लोगो की जुबान पर हैं |

रहीम जी के दोहे हमे कम शब्दों में बहुत कुछ सिखा जाते हैं | रहीम जी ने अपने दोहों में अच्छी संगति , सच्चाई और परोपकारी जीवन जीने पर बल दिया है तो चलिए बिना देर किए संत रहीम के दोहे अर्थ सहित पढ़ते हैं ----


rahim ke dohe in hindi
Source - motivationbio.com

Rahim Ke Dohe in Hindi - रहीम के दोहे अर्थ सहित


दोहा 1 :-
  
रहिमन धागा प्रेम का मत तोड़ो चटकाय
टूटे से फिर ना जुड़े , जुड़े गाँठ पड़ जाए
अर्थ :- रहीम जी कहते हैं की हमे प्रेम का सम्बन्ध आसानी से नही तोड़ना चाहिए क्योंकि जब एक बार प्रेम का सम्बन्ध टूट जाता है तो वह फिर से नही जुड़ता और यदि जुड़ भी जाता है तो उसमे धागे की तरह गाँठ पड़ जाती है यानी पहले वाली बात नही रहती | इसलिए हमे अपने रिश्तों में सावधानी बरतनी चाहिए और जहाँ तक हो सके सूझ-बुझ से काम लेना चाहिए |


दोहा 2 :-
  
पावस देखि रहीम मन, कोइल साधे मौन
अब दादुर वक्ता भए, हमको पूछे कौन ||
अर्थ :- वर्षा ऋतू को देखकर रहीम जी और कोयल के मन ने मौन धारण कर लिया है परन्तु मेंढक पुरे जोर से  बोल रहे हैं ऐसे में रहीम जी कहते हैं की हमको पूछने वाला कोई नही है |
कहने का तात्पर्य ये है की कई बार ऐसा समय आता है की गुणवान व्यक्ति को चुप रहना पड़ता है और दुष्ट लोगो की चारो तरफ वाह-वाही होती है |


दोहा 3 :-
  
मन मोटी अरु दूध रस, इनकी सहज सुभाय
फट जाये तो न मिले, कोटिन करो उपाय ||
अर्थ :- रहीम जी कहते हैं की मन ,मोती ,दूध और रस जब तक अपने सहज रूप में हैं तब तक अच्छे लगते हैं | लेकिन एक बार यदि ये फट जाते हैं तो करोड़ो उपाय करने के बाद भी नही मिलते | यानि की अपने पहले जैसे रूप में नही आ सकते |

दोहा 4 :-
  
रहिमन विपदा ही भली, जो थोरे दिन होय
हित अनहित या जगत में, जानि परत सब कोय ||
अर्थ :- रहीम जी कहते हैं की विपतियों और समस्याओं का आना भी जरूरी होता है चाहे वो थोड़े दिन के लिये ही क्यों न आए | क्योंकि इसी दौरान ही हमे ये पता चलता है की कौन इस संसार में हमारा हित चाहता है और कौन अहित |


दोहा 5 :-
  
रहिमन वे नर मर चुके, जे कछु मांगन जाहि
उनते पहले वे मुए, जिनके मुख निकसत नाहि ||
अर्थ :- रहीम जी कहते हैं की वे लोग मरे हुए के समान है जो कुछ मांगने के लिये किसी के सामने झोली पसारते हैं लेकिन उनसे भी पहले वे लोग मरे हुए हैं जिनके मुह से नही निकलता है यानी की मांगने वाले को साफ मना करने वाले लोग मांगने वाले से भी ज्यादा गए - गुजरे होते हैं |

तो दोस्तों आशा करता हूँ की आपको Rahim ke dohe in Hindi पसंद आए होंगे अगर आपको रहीम जी के और दोहे अर्थ सहित पढने हैं तो आप rahim ke dohe पर क्लिक करके पढ़ सकते हैं |

और साथ ही निचे comment करके ये भी बताएं की आपको रहीम जी के ये dohe कैसे लगे | धन्यवाद !